黒森牧夫七五の風景





七五の風景その1 /2 /3 /4 /5 /6 /7 /8 /9 /10 /11 /12 /13 /14 /15 /16 /17 /18 /19 /20 /21 /22 /23 /24 /25 /26 /27 /28 /29 /30 /31 /32 /33 /34 /35 /36 /37 /38 /39 /40 /41 /42 /43 /44 /45 /46 /47 /48 /49 /50 /51 /52 /53 /54 /55 /56 /57 /58 /59 /60 /61 /62 /63 /64 /65 /66 /67 /68 /69 /70 /71 /72 /73 /74 /75 /76 /77 /78 /79 /80 /81 /82 /83 /84 /85 /86 /87 /88 /89 /90 /91 /92 /93 /94 /95 /96 /97 /98 /99 /100 /101 /102 /103 /104 /105 /106 /107 /108 /109 /110 /111 /112 /113 /114 /115 /116 /117 /118 /119 /120 /121 /122 /123 /124 /125 /126 /127 /128 /129 /130 /131 /132 /133 /134 /135 /136 /137 /138 /139 /140 /141 /142 /143 /144 /145 /146 /147 /148 /149 /150 /151 /152 /153 /154 /155 /156 /157 /158 /159 /160 /161 /162 /163 /164 /165 /166 /167 /168 /169 /170 /171 /172 /173 /174 /175 /176 /177 /178 /179 /180 /181 /182 /183 /184 /185 /186 /187 /188 /189 /190 /191 /192 /193 /194 /195 /196 /197 /198 /199 /200 /201 /202 /203 /204 /205 /206 /207 /208 /209 /210 /211 /212 /213 /214 /215 /216 /217 /218 /219 /220 /221 /222 /223 /224 /225 /226 /227 /228 /229 /230 /231 /232 /233 /234 /235 /236 /237 /238 /239 /240 /241 /242 /243 /244 /245 /246 /247 /248 /249 /250 /251 /252 /253 /254 /255 /256 /257 /258 /259 /260 /261 /262 /263 /264 /265 /266 /267 /268 /269 /270 /271 /272 /273 /274 /275 /276 /277 /278 /279 /280 /281 /282 /283 /284 /285 /286 /287 /288 /289 /290 /291 /292 /293 /294 /295 /296 /297 /298 /299 /300 /301 /302 /303 /304 /305 /306 /307 /308 /309 /310 /311 /312 /313 /314 /315 /316 /317 /318 /319 /320 /321 /322 /323 /324 /325 /326 /327 /328 /329 /330 /331 /332 /333 /334 /335 /336 /337 /338 /339 /340 /341 /342 /343 /344 /345 /346 /347 /348 /349 /350 /351 /352 /353 /354 /355 /356 /357 /358 /359 /360 /361 /362 /363 /364 /365 /366 /367 /368 /369 /370 /371 /372 /373 /374 /375 /376 /377 /378 /379 /380 /381 /382 /383 /384 /385 /386 /387 /388 /389 /390 /391 /392 /393 /394 /395 /396 /397 /398 /399 /400 /401 /402 /403 /404 /405 /406 /407 /408 /409 /410 /411 /412 /413 /414 /415 /416 /417 /418 /419 /420 /421 /422 /423 /424 /425 /426 /427 /428 /429 /430 /431 /432 /433 /434 /435 /436 /437 /438 /439 /440 /441 /442 /443 /444 /445 /446 /447 /448 /449 /450 /451 /452 /453 /454 /455 /456 /457 /458 /459 /460 /461 /462 /463 /464 /465 /466 /467 /468 /469 /470 /471 /472 /473 /474 /475 /476 /477 /478 /479 /480 /481 /482 /483 /484 /485 /486 /487 /488 /489 /490 /491 /492 /493 /494 /495 /496 /497 /498 /499 /500 /501 /502 /503 /504 /505 /506 /507



狂歌
暗黒寓話イヸィン=ヤグアのピラミッドは
暗黒寓話いるか分からぬ神様よりも
お逃げよ お逃げ
影が行く









鳴き声に浅い眠りより目を覚まし
  朝の訪れを疑う私



何故だろう私は既に生き切った
  残骸が懸命に駆けて行く



何処であれ私にとっては異邦だと
  歩く道毎にじわり感じ取る



悲鳴にも色々有って私には
  呟くか黙り込むかだ



己が身を搾取し尽くして獅子はまた
  奴隷の夢を夢見斃れる



自分から罠に掛かりに行く鳥の
  羽を捥いでやるお望み通りに



何も見えぬと騒ぐ老爺を見てみれば
  両手でしっかり目を覆っている



幾つもの星霜を渡り鬼は尚も
  何も見まいと火と成って駆ける



弱風に冷汗は拭い切れないで
  溶けた路面に虚像が聳える



大人しく鎖に繋がれて在ると
  証明書を財布に忍ばせる






inserted by FC2 system